Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2023 · 1 min read

परिवर्तन

स्वचित कविता

परिवर्तन

जीवन मेँ जब हो कुछ परिवर्तन ,
मन में आशाओं का नर्तन ,
बदला तो रूप खिला मन का,
तत्काल हुआ कविता का सृजन ।

यूं सुन कर तुम हैरान न हो,
निष्कारण मन परेशान न हो,
ये तो जीवन की परिपाटी,
इतिहास रहा इस का साक्षी ।

रुक गए तो फिर क्या जीवन है ?
चलते रहने से ही संभव है ।
मानव प्रकृति का अटल नियम-
परिस्थिति अनुकूल सदा विचरण ।

झुक गए तो संग ज़माना है,
यूं ठूंठ हुए तो कट जाना है ।
परिवर्तन जीवन की है पहचान,
सभ्यता विकास इस का प्रमाण।

रुक जाए नीर तो कलुषित है,
अविरल बहता गंगा जल है।
बहता पानी खुद राह बने,
रास्ते के पत्थर चूर्ण करे।

होती है यदि चट्टान उग्र ,
उतना ही हो आघात तीव्र ।
झुक जाते पर्वत है इस के आवेग से,
निश्छलता एवं लक्षय के संवेग से ।

जीवन में हो यदि अपना ध्येय सही,
खुल जाते है सारे बंधन ठीक वहीं ।
परिवर्तन तो है प्रकृति का नियम,
माना तो प्रगति क्षण प्रति क्षण ।

जीवन का उत्तम मार्ग चुनो,
निर्भय हो कर तुम उस पे चलो।
फिर देखो परिवर्तन के खिले रंग,
जीवन में भर जाये उमंग ।

विनीता नरूला

Language: Hindi
168 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Veneeta Narula
View all
You may also like:
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
VINOD CHAUHAN
माटी
माटी
AMRESH KUMAR VERMA
राजा जनक के समाजवाद।
राजा जनक के समाजवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
दिल कि आवाज
दिल कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नील गगन
नील गगन
नवीन जोशी 'नवल'
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
Ajay Kumar Vimal
■ आज की सलाह...
■ आज की सलाह...
*प्रणय प्रभात*
** लगाव नहीं लगाना सखी **
** लगाव नहीं लगाना सखी **
Koमल कुmari
नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
Dr.Pratibha Prakash
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
Shravan singh
मन का समंदर
मन का समंदर
Sûrëkhâ
-शेखर सिंह ✍️
-शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
हवाओं से कह दो, न तूफ़ान लाएं
हवाओं से कह दो, न तूफ़ान लाएं
Neelofar Khan
कितनी ही दफा मुस्कुराओ
कितनी ही दफा मुस्कुराओ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वो दिखाते हैं पथ यात्रा
वो दिखाते हैं पथ यात्रा
प्रकाश
सच
सच
Neeraj Agarwal
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
3072.*पूर्णिका*
3072.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Vandna Thakur
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
भ्रष्टाचार और सरकार
भ्रष्टाचार और सरकार
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
Lokesh Sharma
“ भाषा की मृदुलता ”
“ भाषा की मृदुलता ”
DrLakshman Jha Parimal
यादों का झरोखा
यादों का झरोखा
Madhavi Srivastava
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
मुझे इस दुनिया ने सिखाया अदाबत करना।
मुझे इस दुनिया ने सिखाया अदाबत करना।
Phool gufran
तेरा एहसास
तेरा एहसास
Dr fauzia Naseem shad
Loading...