Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2023 · 1 min read

परिवर्तन

हमने वक्त को बदलते देखा है
ममत्व के अर्थ को अर्थहीन
विश्वास को शीशे की तरह
चकनाचूर होते देखा है।

समय की विडम्बना कहे या
कहें खेल किस्मत का, हमनें तो
अपनो को अपनो से ही भागते देखा है।

हम तो जीते थे , औरों की खुशी के लिए
वर्तमान पीढ़ी को तो सिर्फ अपनी
ही जिन्दगी जीते देखा है।

माँ – बाप की एक आवाज पर दौड़े आते थे सब
आज उसी आवाज को महफिल के
शोर मे सिसकते देखा है।

संस्कारो की कमी कहे या प्रभाव
पाश्चात्य संस्कृतिका अधिकतर
युवाओं को हर राह पर
विचलित , होते ही देखा है।

डॉ. कामिनी खुराना (एम.एस., ऑब्स एंड गायनी)

132 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kamini Khurana
View all
You may also like:
*माहेश्वर तिवारी जी: शत-शत नमन (कुंडलिया)*
*माहेश्वर तिवारी जी: शत-शत नमन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
कवि दीपक बवेजा
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
जय मातु! ब्रह्मचारिणी,
Neelam Sharma
🙅आज का दोहा🙅
🙅आज का दोहा🙅
*प्रणय प्रभात*
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
मतदान दिवस
मतदान दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
दिल तोड़ने की बाते करने करने वाले ही होते है लोग
दिल तोड़ने की बाते करने करने वाले ही होते है लोग
shabina. Naaz
"" *आओ करें कृष्ण चेतना का विकास* ""
सुनीलानंद महंत
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
Rj Anand Prajapati
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
दौलत
दौलत
Neeraj Agarwal
महफिल में तनहा जले,
महफिल में तनहा जले,
sushil sarna
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चला गया
चला गया
Mahendra Narayan
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
"तुम इंसान हो"
Dr. Kishan tandon kranti
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
गंगा- सेवा के दस दिन..पांचवां दिन- (गुरुवार)
गंगा- सेवा के दस दिन..पांचवां दिन- (गुरुवार)
Kaushal Kishor Bhatt
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
Er.Navaneet R Shandily
“पेरिस ओलम्पिक और भारत “
“पेरिस ओलम्पिक और भारत “
Neeraj kumar Soni
कब बरसोगे बदरा
कब बरसोगे बदरा
Slok maurya "umang"
"हिंदी साहित्य रत्न सम्मान - 2024" से रूपेश को नवाज़ा गया'
रुपेश कुमार
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Erikkappetta Thalukal
Erikkappetta Thalukal
Dr.VINEETH M.C
3658.💐 *पूर्णिका* 💐
3658.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मीठे बोल
मीठे बोल
Sanjay ' शून्य'
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
Atul "Krishn"
अगर महोब्बत बेपनाह हो किसी से
अगर महोब्बत बेपनाह हो किसी से
शेखर सिंह
Loading...