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17 Jul 2020 · 1 min read

परिवर्तन ही जीवन है

परिवर्तन ही जीवन है
फिर इससे डरना कैंसा
काल चक्र नित चलता है
जड़ता पर मरना कैंसा
जलधारा का रुख देखा
और उसके अनुकूल हुए
सहज बचे वे तट के तरु
टूटे जो प्रतिकूल हुए
शूल भरे दुर्गम्य मार्ग पर
अपना पग धरना कैंसा
परिवर्तन ही जीवन है
फिर इससे डरना कैंसा
पथ पर जो बढ़ता जाता
पीछे मुड़कर क्यों देखे
मात इसी से मृग खाता
बीते पल को क्यों लेखे
अपने हाथों से ही खुद का
लक्ष्य परे करना कैंसा
परिवर्तन ही जीवन है
फिर इससे डरना कैंसा
सूरज चाँद सितारे नभ में
चलते ही तो रहते हैं
नदियाँ निर्झर सतत धरा पर
सहज रुप से बहते हैं
मुकुलित हुए पुष्प की भांति
असमय में झरना कैंसा
परिवर्तन ही जीवन है
फिर इससे डरना कैंसा

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 430 Views
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