परिवर्तन की आस
नववर्षी शुभकामना में,
सबसे मुझको कहना है!
देश-समाज सुसमृद्धि हेतु,
सुन्दर छविमय बने ये सेतु,
जाति-पाँति की तोड़ दीवारें,
मिलकर सबको रहना है!
नूतनवर्षी शुभकामना में,
सबको संदेश ये देना है!
ऊँच-नीच के अहंकार में,
धर्म-अधर्म के झंझावात में,
अखिल विश्वी-मानवता को,
गव्हर में नहीं डुब्बोना है !
नूतनवर्षी शुभकामना में,
सबको संदेश ये देना है!
आज बदलते परिवेश में,
अंकाई आहट अंध रेस में,
समृद्धि के लालच मात्र में,
बचपन यूँ नहीं गँवाना है!
नूतनवर्षी शुभकामना में,
सबको संदेश ये देना है!
लाड़-लड़ाती वंशज मस्ती,
हो गई महँगी न रही सस्ती,
संस्कारों का ढोल पीटकर,
खुद नीचे नहीं गिर आना है!
नूतनवर्षी शुभकामना में,
मयंक संदेश पहुँचाना है!
✍ : के.आर.परमाल ‘मयंक’