“परिमल”
“परिमल”
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अपने ज्ञान का परिमल जग में इतना डालो।
एक अलग खूबसूरत सी दुनिया बना डालो।
सुरभित हो हर चमन , उपवन इस जहाॅं में ,
हर चमन का हर पुष्प ही तुम खिला डालो।
~अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
~किशनगंज ( बिहार )
( स्वरचित एवं मौलिक )
दिनांक : 01/03/2022.
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