परिधान मतलब का बुनने लगे
दर्द हमने न दिल का सुनाया उन्हें
दर्द उनको मिला खुद समझने लगे।
एक दिन फिर मिले तन्हा-तन्हा दिखे
देखकर हमको वो भी सिसकने लगे॥
उनसे ताल्लुक तो कोई नहीं था मगर
वो भी कहने लगे हम भी सुनने लगे॥
मतलबी दुनिया में न ठिकाना मिला तो
फिर से परिधान मतलब का बुनने लगे॥
संदीप “सत्यार्थी”