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15 Mar 2018 · 1 min read

परिधान मतलब का बुनने लगे

दर्द हमने न दिल का सुनाया उन्हें
दर्द उनको मिला खुद समझने लगे।

एक दिन फिर मिले तन्हा-तन्हा दिखे
देखकर हमको वो भी सिसकने लगे॥

उनसे ताल्लुक तो कोई नहीं था मगर
वो भी कहने लगे हम भी सुनने लगे॥

मतलबी दुनिया में न ठिकाना मिला तो
फिर से परिधान मतलब का बुनने लगे॥
संदीप “सत्यार्थी”

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