“परिणीता”
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रूठ गई है किस्मत मेरी!
कैसे मिलेगी
मंजिल मेरी!
उसको नहीं है चिंता मेरी।
बीच राह छोड़ दिया–
मुझ गरीब को!
वो बेवफा परिणीता मेरी।।
भूल गई वो!
सात फेरे वाली रात!
याद है मुझे वो रात!
सात वचन दिए थे उसी रात।
वचन तोड़ दिए–
मेरी परिणीता ने!
दे गई मुझे! वो गहरा आघात।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल=
===*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*====
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