परिणाम बुरे ही आएंगे
भाव गलत करने का हो तो, काम बुरे ही आएंगे
कर्म बुरे जो होंगे तो, परिणाम बुरे ही आएंगे
दया भाव को दिल में रख, दुखियों की आह सुनी जाए
केवल खुद की फिक्र छोड़, सबकी परवाह बुनी जाए
क्षणिक लाभ देनेवाले हैं, छल और लालच की राहें
सारे रस्ते बुरे छोड़, एक अच्छी राह चुनी जाए
आगाज बुरा जो होगा तो, अंजाम बुरे ही आएंगे
कर्म बुरे जो होंगे तो, परिणाम बुरे ही आएंगे
कोई देखो चला जा रहा , सुंदर से तन के पीछे
पड़ा हुआ कोई है देखो स्वार्थ के बंधन के पीछे
उच्च विचारों वाली कोई पहले सी वो बात नहीं
पडे़ हुए सब लोग यहां हैं दौलत के धन के पीछे
बुरे भाव मन में हों तो, पैगाम बुरे ही आएंगे
कर्म बुरे जो होंगे तो, परिणाम बुरे ही आएंगे
काम करें हम ऐसे कि, प्रभाव रहे सत्कर्मों का
हर मानव के मन में जिंदा, मान रहे सब मर्मों का
बंटे नहीं सब एक बनें, ये छोड़ के जाति-पाति को
एक यहां सबका मालिक, सम्मान करें सब धर्मों का
लडे़ जो आपस में तो सुबहोशाम बुरे ही आएंगे
कर्म बुरे जो होंगे तो, परिणाम बुरे ही आएंगे
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली