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25 Sep 2024 · 4 min read

*”परिजात /हरसिंगार”*

“परिजात /हरसिंगार”
प्रकृति प्रदत्त बहुत सारे ऐसे पेड़ पौधे है जिन्हें हम नही जानते हैं और जानते भी है तो उनके बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त नही मिलती है। जी हां ऐसे ही एक औषधि युक्त पौधा जिसका नाम है – परिजात उसे हरसिंगार के नाम से जाना जाता है।यह पुष्प सुगंधित नारंगी रंग की डंडी व सफेद रंग का छोटे पंखुड़ियों वाला होता है।
इसका प्रयोग पूजन के काम में लाया जाता है लेकिन इसके अलावा अन्य बहुत से गुणों से भरपूर औषधी युक्त पेड़ है ।
ये पेड़ ग्रह दशाओं को भी सही रखता है बच्चो के दिमाग के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। जब हम प्रकृति का सहारा लेते हैं तो वे जीवन को सरल व रास्ता सुगम बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से परिजात पुष्प व पत्तियां बेहद फायदेमंद होती है।शरीर को स्वस्थ मन की एकाग्रता बढाती है। शुगर लेवल कम करती है गठिया रोग का भी बेहतर रामबाण इलाज है
बच्चों को बड़ों को जब क्रोध आता है तो मन स्थिर दिमाग के लिए भी फायदेमंद होता है।एक पत्ता अच्छे से धोकर इसे खाली पेट चबाकर खाएं और पानी पी लें।
यह रक्त शोधक का कार्य करता करता है मस्तिष्क में प्राण वायु ,रक्त संचार, व जल का संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है।
हरसिंगार का एक पत्ता बहुत मदद करता है कभी कभी हमारे कार्य बनते ही नही अधूरे रुके पड़े रहते हैं या बच्चों की पढ़ाई लिखाई ,प्रतियोगिता परीक्षा में सहायता करने के लिए परिजात के पुष्प की टहनी को सफेद धागों में बांधकर पहन लें कार्य सरल सुगमता से हो जायेंगे।
जीवन में एकाग्रता की जरूरत होती है इससे एकाग्रता बढ़ती है और जोड़ों का दर्द , शरीर में गैस बनना ,शुगर लेवल कम करने के लिए ये उपाय कारगर सिद्ध होते हैं वैसे डॉक्टरों की सलाह भी लेते रहना चाहिए।
हरसिंगार की 4 या 5 पत्तियों को धोकर कूट लें उसे 2 कप पानी में उबालकर एक कप रहने दें फिर छानकर कुनकुना ही सुबह खाली पेट पीना चाहिए इससे गठिया रोग ,शुगर लेवल कम होने लगता है।
अगर यह वंशानुक्रम रोग हो तो सप्ताह में एक बार सभी व्यक्ति को सेवन करना चाहिए।घर में अशांति का माहौल बना रहता हो लड़ाई झगड़े होते हो तो घर के पिछले हिस्से में यह परिजात का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।
परिजात का पेड़ समुद्र मंथन से निकला है देवराज इंद्र ने इस वृक्ष को स्वर्ग में स्थापित कर दिया था ……
परिजात वृक्ष धरती पर कैसे आया इसकी रोचक कथा है …एक बार श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने परिजात वृक्ष लाने की हठ पकड़ ली जिद्द करने लगी क्योंकि नारद जी से मिले सभी परिजात पुष्पों को कृष्ण जी ने रुक्मणि जी को दे दिया था इस कारण सत्यभामा चिढ़ गई थी।
श्री कृष्ण जी ने दूत के माध्यम से इंद्र देव को संदेश भेजा कि वे परिजात वृक्ष सत्यभामा के वाटिका में लगाने को दे दें ।परन्तु इंद्र देव ने वह परिजात का वृक्ष देने से इंकार कर दिया था तब भगवान श्री कृष्ण जी ने इंद्र देव को परास्त कर परिजात का वृक्ष धरती पर ले आये थे।
कहते हैं कि इसकी टहनी बहुत ऊंचाई पर जाकर जब नीचे की तरफ लटक जाती है तो टहनियां अपने आप सूख जाती है ये मूलतः धरती का पौधा नही स्वर्गलोक का पेड़ है ये बड़े संजोग व विचित्र बात है एक दैविक शक्ति है।
जिस व्यक्ति का चंद्रमा कमजोर हो उसे परिजात पुष्प अपने साथ जरूर रखना चाहिए और दिमाग का कार्य करते समय ,पढ़ते समय, ऑफिस में अपने पास रखना चाहिए ताकि इन फूलों की खुशबू महक से मन एकदम शांत रहे।एक कटोरी जल में कुछ परिजात के पुष्प डालकर घर के कोने में रख दें पूरा घर महकने लगेगा सुखद अनुभूति होती है।
परिजात का पुष्प जीवन बदल देता है उसके जड़ को गले मे धागों से बांधकर पहनने से भाग्य बदलने लगता है ।
हमारे जीवन के इर्द गिर्द ना जाने कितने वृक्ष लगे हुए हैं सभी पौधे में अपने अलग अलग गुण मौजूद हैं लेकिन ये वृक्ष कुछ खास तौर से अलग प्रकृति का है जिससे घर में खुशियां आती है एकाग्रता बढ़ती है शरीर में शुगर लेवल कम करता है और भाग्य को भी मजबूत बनाता है।
अभी हाल में ही 5 अगस्त को रामजन्म भूमि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राम मंदिर के प्रांगण में परिजात का पौधा रोपण किया है।
परिजात के विशेष महत्व के बारे में बताया गया है उनका उपयोग हम घरेलू उपाय से करते हैं लेकिन डॉक्टरों की सलाह सही जानकारी लेने के बाद ही इसका प्रयोग करेंगे तभी सार्थक प्रयास सफल जीवन स्वस्थ निरोगी काया रख सकते हैं।
शशिकला व्यास 📝
जय श्री कृष्णा राधेय …
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