परिचय
पुष्प तुम्हें मैं
जब भी देखूं
संबंधों को
भूल ना पाऊं
जीवन के
अध्याय खुले हैं
कुछ पढ़ लूं
कुछ न पढ़ पाऊं
मेरा परिचय
इतना जानो
संबंधों को
यूं पहचानो
क्षण भंगुर
जीने की चाह में
भंवरा बन
उड़ता ही जाऊं
भंवरा बन
उड़ता ही जाऊं…….
पुष्प तुम्हें मैं
जब भी देखूं
संबंधों को
भूल ना पाऊं
जीवन के
अध्याय खुले हैं
कुछ पढ़ लूं
कुछ न पढ़ पाऊं
मेरा परिचय
इतना जानो
संबंधों को
यूं पहचानो
क्षण भंगुर
जीने की चाह में
भंवरा बन
उड़ता ही जाऊं
भंवरा बन
उड़ता ही जाऊं…….