परिंदों की वफ़ादारी
परिंदों की वफ़ादारी पर मशहूर शायरों की पेशकश :
उड़ने दे परिंदों को आज़ाद फिजां में “गालिब”
जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएंगे।
मिर्ज़ा ग़ालिब
ना रख उम्मीद- ए- वफ़ा किसी परिंदे से
जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं।
अल्लामा इक़बाल
मेरे चंद अल्फ़ाज़ परिंदों की वफ़ादारी पर :
इंसानों परिंदों की वफ़ादारी पर शक मत करो,
अपने अज़ीज़ इंसा की मज़ार पर सजदा करते परिंदे भी हमने देखे हैं ,
जब ज़माने ने इंसा को ठुकरा दिया तो वो परिंदे ही थे जिन्होंने साथ दिया,
इंसान जो इंसानी सीरत को ना पहचान सका वो परिंदों की सीरत किस कदर पहचानेगा,
वो तराजू जो उसने बनाई है , उसी पर वो परिंदों का ज़मीर तौलेगा,
परिंदों का ज़मीर तौलने की तराजू कहां से लाएगा ?