— परिंदे समझदार – इंसान से —
मैने देखा है परिंदों को
कुछ ज्यादा समझदार होते हुए
जहाँ लगने लगे उनके पंख
वो अपनी लय में उड़ने लगे !!
माँ ने उनकी दिया चोंच में दाना
वो उस की सौगात से खाने लगे
जहाँ लगे उनके पखों को हवा
वो नभ में रोज उड़ने लगे !!
जैसे ही बड़े होने लगे अपना
भोजन खुद खोज के खाने लगे
न रहते फिर किसी पर मेहरबान
नित नई दुनिआ में वो खोने लगे !!
इंसान की औलाद में यह गुण
आने में बहुत सारा वक्त लगता है
वो सक्षम होकर भी अपने ही
माँ बाप पर अपना बोझा रखने लगे !!
आखिर कब तक रहोगे उनके
बन कर तुम निर्भरओ मनुष्य की संतान
तुम लेकर आये थे बुद्धि अपने साथ
पर तुम तो उस को भी अब खोने लगे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ