Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2020 · 1 min read

— परिंदे समझदार – इंसान से —

मैने देखा है परिंदों को
कुछ ज्यादा समझदार होते हुए
जहाँ लगने लगे उनके पंख
वो अपनी लय में उड़ने लगे !!

माँ ने उनकी दिया चोंच में दाना
वो उस की सौगात से खाने लगे
जहाँ लगे उनके पखों को हवा
वो नभ में रोज उड़ने लगे !!

जैसे ही बड़े होने लगे अपना
भोजन खुद खोज के खाने लगे
न रहते फिर किसी पर मेहरबान
नित नई दुनिआ में वो खोने लगे !!

इंसान की औलाद में यह गुण
आने में बहुत सारा वक्त लगता है
वो सक्षम होकर भी अपने ही
माँ बाप पर अपना बोझा रखने लगे !!

आखिर कब तक रहोगे उनके
बन कर तुम निर्भरओ मनुष्य की संतान
तुम लेकर आये थे बुद्धि अपने साथ
पर तुम तो उस को भी अब खोने लगे !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
269 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
पिछले पन्ने भाग 1
पिछले पन्ने भाग 1
Paras Nath Jha
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
अरशद रसूल बदायूंनी
अधूरी तमन्ना (कविता)
अधूरी तमन्ना (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
Ranjeet Kumar Shukla - Hajipur
Ranjeet Kumar Shukla - Hajipur
हाजीपुर
'ਸਾਜਿਸ਼'
'ਸਾਜਿਸ਼'
विनोद सिल्ला
पतंग
पतंग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तलाशता हूँ -
तलाशता हूँ - "प्रणय यात्रा" के निशाँ  
Atul "Krishn"
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अमीरी गरीबी
अमीरी गरीबी
Pakhi Jain
साँझ पृष्ठ पर है लिखा,
साँझ पृष्ठ पर है लिखा,
sushil sarna
चाहत से जो आरंभ हुआ, वो प्रेम अनूठा खेल,
चाहत से जो आरंभ हुआ, वो प्रेम अनूठा खेल,
पूर्वार्थ
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"अहमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
वफ़ा
वफ़ा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
वो कौन थी जो बारिश में भींग रही थी
वो कौन थी जो बारिश में भींग रही थी
Sonam Puneet Dubey
वक़्त को वक़्त ही
वक़्त को वक़्त ही
Dr fauzia Naseem shad
I'm always with you
I'm always with you
VINOD CHAUHAN
जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
Ravikesh Jha
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
दुनिया
दुनिया
Mangilal 713
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
நீ இல்லை
நீ இல்லை
Otteri Selvakumar
3091.*पूर्णिका*
3091.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
जगदीश लववंशी
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
मैं खड़ा किस कगार
मैं खड़ा किस कगार
विकास शुक्ल
अनुभूति
अनुभूति
Pratibha Pandey
Loading...