परिंदा
खुश किस्मत आजाद परिंदा
बेघर पर आबाद परिंदा
आसमान में उड़ने वाला
सबको आता याद परिंदा
पिंजरे में कोई कैद ना करना
करता है फरियाद परिंदा
भोर का तारा ज्यों ही निकले
कहता है सुप्रभात परिंदा
दिन भर इधर-उधर उड़कर यूॅ॑
करता है मुलाकात परिंदा
सांझ ढ़ले तब नीड़ में आकर
इठलाता सबके साथ परिंदा
फुदक-फुदक कर दाना चुगता
नहीं देखता स्वाद परिंदा
कल की फ़िक्र न आज की चिंता
नहीं रखता जज्बात परिंदा
हरे पेड़ पर वह बना घोंसला
करता है उन्माद परिंदा
पेड़ लगाओ सब पेड़ बचाओ
कहता ‘V9द’ आज परिंदा