पराया न होता
वह इतना भी पराया न होता
बीच में तीसरा आया न होता
दिलो जां में वह समाया न होता
फिर यह सैलाब आया न होता
भरोसा इतना जताया न होता
फरेब कोई भी खाया न होता
मिटा ही देता मैं अपना वुजूद
वह मुझमें अगर समाया न होता
ऐसे तो जान भी जा सकती थी
अश्कों को अपने बहाया न होता