परम प्रकाश उत्सव
कार्तिक मास दीपदान का, पावन एक सुअवसर है
अंतस का अंधकार मिटाने, परम प्रकाश उत्सव है
हे दिव्य दीप ज्योति नमन, प्रज्वलित कर तुम्हें ध्याऊं
गंगा यमुना सरस्वती, संगम में दीप जलाऊं
सिंधु गोदावरी कावेरी, ब्रह्मपुत्र सरयू आऊं
हे दीपज्योति मैं तुम्हें छोड़ने, क्षिप्रा महानदी जाऊं
नर्मदा गोमती वेत्रवती,ताप्ती सोन मंदाकिनी
भुक्ति मुक्ति मोक्ष दायनी
हर पावन सर सरिता तट, मैं पावन दीप जलाऊं
करना सबका मंगल ज्योति, सबका मार्ग प्रकाशित हो
सारी सृष्टि सुखी रहे, जन जन का दूर अमंगल हो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी