*परम चैतन्य*
डा . अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
परम चैतन्य
अँधेरी रात में लेकर दिया बायें हाँथ में
सडक पर निकल कर रोशनी दिखाना कब मना है |
आतंक के परिवेश में राजनीति के सहारे
आमजन को ढाढस बन्धाना कब मना है |
स्त्री और पुरुष के कर्म कौशल को लेकर
तर्क और कुतर्क से अन्तर मिटाना कब मना है
आज के विनिमेश में , भेद और विभेद में एकता की
दूरिया हटा कर समरसता लाना कब मना है
मुझसे जो भी काम होगा करुंगा प्राण पन से
तुमको नहीं लगता है कि ये विश्वास जगाना कब मना है
आओ लोगो तुम भी आओ देश हित में जुट जाओ
सब जुटेंगे , लोगों में ऐसी भावना जगाना कब मना है
अँधेरी रात में लेकर दिया बायें हाँथ में
सडक पर निकल कर रोशनी दिखाना कब मना है |