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2 May 2024 · 1 min read

परमेश्वर की वार्ता

धरती से ज्यादा माँ सहिष्णु
गतिवान वायु से ज्यादा मन
पत्थर के हृदय नहीं होता
मछली सोती है खोल नयन

सबसे बढ़कर है धर्म दया
मन-कल्मष को त्यागना स्नान
जो व्यक्ति प्रवासी बने नहीं
वह है प्रसन्न, समझें सुजान

है धर्ममार्ग ही एक मार्ग
जिस पर चलते सत्याचारी
आश्चर्य यही- जग मरणशील
अमरत्व चाहते नर-नारी

है काल निरंतर पका रहा
हर जीव-जंतु को, प्राणी को
यह वार्ता है परमेश्वर की
मैं सुगति दे रहा वाणी को

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
1 Like · 57 Views
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