परममित्र ,एक सी जिंदगानी
हम तीनों की एक कहानी
परममित्र ,एक सी जिंदगानी
अनहोनी हुई ,तीनों के साथ में
कोई पिता,कोई माँ के सुख से बंचित प्राणी
साध्य ,साधन तीनो के एकसम
एक लक्ष्य सिविल सेवक बनना
कुदरत ने ली ऐसी परीक्षा
घोर कष्ट पड़ा तीनों को सहना
न बचा कोई ,विशेष रंग
तीनो की जिंदगी हुए बेरंग
अपनो के,अपने लक्ष्य के खातिर
लड़ रहे तीनों जिंदगी से जंग
कैसी होली ,कैसी दीवाली
इनकी तो जिंदगी ही हो गई खाली
दीप’कोई अपना बहुत दूर हुआ इनसे
बेरंग हुए होली, अंधकारमय हुई दीवाली
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा