परदेश
रोजी रोटी ख़ातिर बेटा जो परदेश गया,
वहाँ जाकर भूल वह स्वदेश को गया,
अब तो स्वदेश में उसे कमियाँ बड़ी दिखती,
परदेश में जाकर वह वही का हो गया।
आकर्षक वेतन उसको बड़ा लुभाने लगे,
वहाँ की सुविधाएं उसको भाने बहुत लगे,
देश की माटी की महक उसको बुरी लगती,
देश की आबों हवा उसको बड़ा सताने लगें।
अपनी योग्यता को परदेश में जाकर दिखाया,
वहाँ की उन्नति विकास के लिए जोर लगाया,
कुछ तो जतन ऐसा करके अब दिखाना है
देश की प्रतिभा सदा देश के काम आए।
देश की सभ्यता और संस्कृति को भूल न पाएं,
परदेश में भी देश सदा आत्मा में रच बस जायें,
जीवन का उद्देश्य देश की उन्नति सदा ही रहें,
ऐसा करके ही मन हमारा सुकून को पाएं।