परत
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★●★परत★●★
कभी आ जाना तुम फिर से
मेरे जीवन में बीती यादों की
दीवारों पर काई की फ़सल बन
खरपतवार से उग आना तुम
मेरे मन की बंजर भूमि पर
लग जाना फिर से मेरे बीते
लम्हों पर परत बनकर
मन की मौन दीवारों को
तस्वीर सी बनकर या फिर
मेरे शब्दों से कविता सी बनकर
भाव पढ़कर मेरे मन के
बस जाना मेरी रूह तक
– शेखर सिंह ✍️