“परछाई”
“परछाई”
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बरगद विटप की ही तरह हो अगर परछाई ।
प्रतिच्छाया से जो करता सबकी ही भलाई ।
अविरल सा अवशोषित करता उष्णता को ,
ठंडक से प्यास बुझा, देता सबको अच्छाई ।
( स्वरचित एवं मौलिक )
~ अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 28/02/2022.
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