परछाईयों की भी कद्र करता हूँ
अरे अपनों की तो बात ही क्या
मैं गैरों से मोहब्बत करता हूँ
सच कहता हूँ इंसान तो क्या
मैं परछाइयों की भी कद्र करता हूँ
जग से भी क्या ले जाना है
खाली हाथ हमको जाना है
मैं जो मिल जाए सब्र करता हूँ
मैं परछाइयों की भी कद्र करता हूँ
क्यों रखते हैं द्वेष भावना
करते क्यों हैं बुरी कामना
मैं इन बातों से बहुत डरता हूँ
मैं परछाइयों की भी कद्र करता हूँ
बच्चों की बातों पर झगड़े
पति पत्नी में कैसे ये रगड़े
मैं देखके हाए तौबा करता हूँ
मैं परछाइयों की भी कद्र करता हूँ
युवाओं का जोश खो रहा
नशे में पड़के होश खो रहा
मैं ‘V9द’ समझाते भी डरता हूँ
मैं परछाईयों की भी कद्र करता हूँ
स्वरचित
V9द चौहान