*पयसी प्रवक्ता*
– डॉ अरुण कुमार शास्त्री
विषय- माँ के बिना जीवन व्यर्थ है
विधा – पद्य
शीर्षक – पयसी
जननी सुरक्षा से अधिक सुरक्षित
जगत में होता कौन है ।
माँ का स्थान सर्वाधिक प्रतिष्ठित,
यही बतलाता व्योम है ।
जातक की निर्मूल अवस्था,
माता उसका मूल्यांकन ।
जो कोई बांचे जो कोई जांचें,
परिभाषित समूल है ।
बिना मूल के तरु तिरस्कृत,
त्रिशंकु सा कहलाता है ।
जुड़ा हुआ जो वृक्ष जड़ों से,
जगत में अति भव्य शोभा पाता है ।
व्यक्ति के जन्मोत्सव का निर्माण,
स्थापित होना स्वाभाविक हो जाता है ।
कर्म कांड पर आधारित है,
जगत व्यवस्था नभ स्थल की ।
इस अवसर से उपलब्ध प्रक्रिया,
को गुरु संदेश भी जाता है ।
यूं तो मानव सभ्यता के,
आदि की अटकल अचल अघोर हैं ।
जननी सुरक्षा से अधिक सुरक्षित
जगत में होता कौन है ।
माँ का स्थान सर्वाधिक प्रतिष्ठित,
यही बतलाता व्योम है ।
तेरा मेरा इसका उसका,
अर्थ निगोड़ा निरगुण का हिस्सा है ।
तकनीकी विकास में लेकिन,
ये सब बहुत जरूरी रस्ता है
राह सुनिश्चित जीवन का उद्देश्य,
हो निश्चित यही ठीक सा लगता है ।
जननी सुरक्षा से अधिक सुरक्षित
जगत में होता कौन है ।
माँ का स्थान सर्वाधिक प्रतिष्ठित,
यही बतलाता व्योम है ।