मुक्त पुरूष #...वो चला गया.....
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
💐प्रेम कौतुक-546💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
*लोकमैथिली_हाइकु*
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
"आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान"