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20 Oct 2021 · 2 min read

पन्द्रह अगस्त

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विश्व तुम्हारे लिए अंक का संयोजन होता पन्द्रह अगस्त।
किन्तु,हमारे लिए राष्ट्र का होता यह दिन अति ही पवित्र।
आजादी का तिलक लगाकर फिर आयेगा पन्द्रह अगस्त।
बलिदानों की कथा-कहानी फिर दुहराएगा सिसक-सिसक।
पर,रोना तुम नहीं,उछलकर अपनी मुट्ठी लेना बांध।
हर कुदृष्टि घात लगाये,उसको निश्चय लेना साध।
इस पन्द्रह अगस्त के दिन करना फिर गर्जन गंभीर।
और पुन: संकल्प कठिन रक्षा का दुहरा लेना वीर।
राष्ट्र अक्षुण्ण आजादी का जश्न निरंतर दुहराएगा।
एवम् दुश्मन आजादी का सारा ही मारा जाएगा।
रक्त-विंदु जितने इस भू पर बलिदानी छितराएगा।
उतने ही प्रण और प्राण फिर नभ से उतरा आयेगा।
कसम उठाकर फहराएँ ध्वज,नभ में यह लहराएगा।
वतन हमारा और आजादी गीत खुशी के गायेगा।
आजादी का पर्व हमारा अति पवित्र है जानते हम।
इसे शाश्वत करने हेतु देंगे सर्वस्व मानते हम।
बलिदानी वीरों की आत्मा ध्वज फहरे तो होते तृप्त।
वे जिन कर्तव्यों हेतु लड़ मरे,रखना उसको चुस्त-दुरुस्त।
आजादी का अर्थ कभी स्वच्छंद नहीं है हो जाना।
अनुशासन से हीन निरंकुश तथा नहीं भी हो जाना।
मनमाने शब्दों में न व्याख्या करना उसमें खो जाना।
अपने ही कर्मों का लोगो सर्पदंश सा हो जाना।
अत: बहुत ही सावधान हो आजादी को करना है आदत।
यही हमारी खुद की पूजा, देश की पूजा, धर्म, इबादत।
छांव घनी सी फैली रहती है अस्तित्व पर आजादी।
इसे समझना और बनाए रखना ऐसे ही हे, आबादी।
मंत्र-मुग्ध हो जश्न मनाना पर, मंत्र-मुग्ध हो जाना ना।
आजादी को जो आँख दिखावे,उसको चुप सह जाना ना।
आजादी का तिलक लगाकर पन्द्रह अगस्त फिर आयेगा।
मस्तक ऊंचा करके ऊँचा धव्जा तिरंगा फिर फहराएगा।
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Language: Hindi
231 Views
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