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2 Jun 2024 · 1 min read

पनघट

#विषय – पनघट

पनघट पर सखियाँ खड़ी।
लिए मटकी हाथ।।
राह तक रही सहेलियाँ।
कर रही बतियाँ साथ।।
पानी भरने मै भी चली।
मटकी माथे लिए साथ।।
पानी भरकर गप्पे मार।
लौट चले सखियाँ साथ।।
कुआ गांव का था विख्यात।
गांव की ये विशेष बात।।
पुरे गांव की सखियाँ वहीं मिलती।
पानी भरती साथ ।।
पहले जैसा अब कहां।
ये पनघट सब गांवों के साथ।।
घर घर में जेट पंप है।
अब कहां पनघट की बात।।

स्वरचित – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.

Language: Hindi
2 Likes · 131 Views
Books from krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
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