पनघट
दिन- शनिवार
दिनांक -३१/३/१८
शरद *पूनो रजनी में तुम, ज्यूं माहताब हो नीलम *अंखियन में।
जागे नैना सुन सारी रैना , तुम कान्हा ख्वाब हो नीलम *अंखियन में।
पनघट *प्यासो यमुना प्यासी, प्यासा रहा किनारा ।
प्रिय-मन प्यासा धड़कन प्यासी, प्यासी *अंखियन धारा ।
सुन,भोर *भये पनघट पे, राधा सुनती कोकिल कूक।
*काहे सजनवा *नाही आए,राधे *जियरा में उठती हूक।
बुलबुल *चहकत भौंरा *गावत,मंद- मंद पुष्प मुस्काएं।
विरहिन *मनवा टीस निगोरी,हाय!दिन-दिन बढ़ती जाए।
प्रीत *तोरी मनघट में है कान्हा, लेकर बांसुरी तुम आ जाना।
मीरा के जनघट में कान्हा, मधुर तान फिर से सुना जाना।
मटकी ले पनघट पे कान्हा,भटका मन *टोहत है बहाना।
जोहत बाट तिहारी गिरधर,नीलम का मन अटके कान्हा।
नीलम शर्मा
सरलार्थ-*पूनो- पूर्णिमा, अंखियन- आंखें, *प्यासो- प्यासा, *भये-हुए होना, *काहे – क्यों, जियरा,मनवा – हृदय, चहकत- चहकना,गावत – गाना, तोरी – तुम्हारी,टोहत- ढूंढता