पधारो नंद के लाला
पधारो नंद के लाला जगत उद्धार करने को
करूँ तर्पण चले आना है बेड़ा पार करने को
शलभ हूँ मैं मेरे हैं प्राण केवल दो घड़ी भर के
किशोरी संग आओ श्याम भव से पार करने को
कि ऐसा हो ये दो आँखें कभी तो चार हो जाये
दृगों में पल रहें जो ख़्वाब वो साकार करने को
बनालो नाथ मुझ को भी तुम्हारे धाम की दासी
चले आओ प्रभु आराधना स्वीकार करने को
कि फागुन में चले आते किशोरी जो पुकारे तो
कभी आओ हमारे घर सजन त्यौहार करने को