Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2021 · 1 min read

“पढ़ाई “

“पढ़ाई”
??

करो बच्चों, अब से पढ़ाई;

मत करो, अब तुम लड़ाई;

जीवन में, यही काम आये;

जो ना पढ़े, सदा पछताए।

पढ़कर बनते, हम विद्वान;

आते, अपने देश के काम;

विद्वान ही बने, इंजीनियर;

या बने, डॉक्टर या मास्टर।

पढ़ाई, जीवन में जरूरी है:

पढ़ना बच्चों की मजबूरी है,

पढ़कर सीखते हम संस्कार,

पढ़ाई ही लगाए, बेड़ा -पार।

**********************

…… ✍️ प्रांजल
………कटिहार।।

15 Likes · 8 Comments · 835 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
घर एक मंदिर🌷
घर एक मंदिर🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
तपाक से लगने वाले गले , अब तो हाथ भी ख़ौफ़ से मिलाते हैं
Atul "Krishn"
हाइकु - 1
हाइकु - 1
Sandeep Pande
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
3032.*पूर्णिका*
3032.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हुनर
हुनर
अखिलेश 'अखिल'
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
Ajit Kumar "Karn"
अब लगती है शूल सी ,
अब लगती है शूल सी ,
sushil sarna
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
आया सखी बसंत...!
आया सखी बसंत...!
Neelam Sharma
आपको याद भी
आपको याद भी
Dr fauzia Naseem shad
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
Sonam Puneet Dubey
ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
डॉक्टर रागिनी
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
Kaushal Kishor Bhatt
*
*"सिद्धिदात्री माँ"*
Shashi kala vyas
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
Rituraj shivem verma
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ...
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ...
SURYA PRAKASH SHARMA
कलियुग में सतयुगी वचन लगभग अप्रासंगिक होते हैं।
कलियुग में सतयुगी वचन लगभग अप्रासंगिक होते हैं।
*प्रणय*
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मैं उड़ना चाहती हूं
मैं उड़ना चाहती हूं
Shekhar Chandra Mitra
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
Shweta Soni
" सत कर्म"
Yogendra Chaturwedi
हैरी पॉटर
हैरी पॉटर
Dr. Kishan tandon kranti
भाल हो
भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Loading...