पथ में
मुक्तक- १
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शूल मिलेंगे पथ में बिखरे, मत घबराना।
बिना रुके फिर भी राही को, बढ़ते जाना।
मंजिल की है चाह जो नहीं, मिटने पाए।
हर हालत में प्राप्त जिसे है, कर दिखलाना।
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मुक्तक- २
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स्वयं बनानी है हमें, अपनी अपनी राह।
सुख सुविधा की छोड़कर, हर हालत में चाह।
कभी भ्रमित होना नहीं, आकर्षण को देख।
मन में रखना लक्ष्य को, मत करना परवाह।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य