पथ भ्रमित युवा
मित्रो युवाओ का एक बहुत बड़ा वर्ग दिशा हीन है ,,,मेरी पीड़ा ,,,,,,
दिशा भ्रमित हैं युवा केवल झूठ के व्यवसाय में ….
जी रहे जिन्दगी बस रोमान्स के क्रशकाय में ……..
हर चमकती वस्तु को सोना समझ बैठे हैं ये ..
शक्ति , सयंम, नियम पूरे ताक पर रख बैठे हैं ,,
हे परमेश्वर और वाह गुरु कैसे सम्हल पाएंगे ये ..
गलत क्या है ,सही क्या है कैसे समझ पाएंगे ये ..
अब जरुरत है कोई नए अवतार की इस माहौल में
ताकि नव उर्जा का संचार हो जल्द इस माहौल में ….,
जिदगी को सुख का बिछोना मानकर ये जी रहे ..
हर कदम पर चोट लगती ,ध्यान ये न दे रहे ,,,
हो रहे नासूर ये नव पौध के दुश्मन बने ।
षड्यंत्र के बहु जाल में,अंग इनके सब सने ।
अब प्रदर्शक गुरु सब ,ये देखकर चुपचाप हैं ।
श्रेष्ठ समझे मूर्ख खुदको, रोज करते पाप हैं।
क्या समय आया , बुजुर्गो की नहीं चलती ।
पांडु मौन हो बैठे , कौरवों की सजी बस्ती।
उठाओ पार्थ अब गांडीव ,कृष्ण की है सहज शिक्षा।
धर्म का साथ देना ही , गीता की प्रथम शिक्षा ।
कृष्ण को है नहीं फुरसत , दुशासन को मिटाने की
बढ़ो आगे ,बनो मुखिया न चिंता जान जाने की।
कभी भी सच न हारेगा,भले कितने घने बादल।
आज ले लो शपथ ऐसी करो नेतृत्व भारत का ।