पथ पर बैठ गए क्यों राही
पथ पर बैठ गए क्यों राही
अभी चलना है तुम्हें बड़ी दूर।
मंजील तुम्हें छुना है अगर तो
कदम बढ़ाते रहना तुम जरूर।
जब तक तुम खुद को घिसोंगे नहीं
कैसे बनोगे तुम कोहिनूर।
करना है तुम्हें अगर अपने पर गुरूर,
तो मेहनत करना पड़ेगा राही।
ऐसे थककर बैठ जाने से
कहाँ मंजिल हासिल होगा राही।
अभी तो राही तेरी मंजिल है,
तुमसे कोसो मील दूर।
इतिहास तुम्हें रचना है तो राही
हिम्मत तो तुम्हें करना होगा।
मंजिल तुम्हें पुकार रहा है
तुम्हें आगे बढ़ते रहना होगा।
है काँटो से भरा पथ तो क्या हुआ
तुम्हें संघर्ष कर आगे बढ़ना होगा।
ऐसे पथ पर बैठकर सोचने से
कहाँ मंजिल तुम्हें मिलेगा राही।
धीरे-धीरे ही सही पर
अपना कदम आगे बढ़ाना होगा।
धीरज धर अपने मन में
तुम्हें आगे को चलना होगा।
आए निराशा के बादल मन में अगर
हौसलों की दीवार लगाकर
उसे अपने से दूर करना होगा।
मंजिल पाना है तो राही
हर हाल में बढते रहना होगा।
जब तक मंजिल न मिल जाए
तब तक तुम्हें न रूकना,
न बैठना,न थकना होगा ।
राही पथ पर आगे
बढ़ते रहना होगा।
~अनामिका