पथ दिखाया तुमने
पथ दिखाया तुमने
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हे! पिता तुमने ही मुझको पथ दिखाया,
तुमने ही मुझको चलना सिखाया।
जब कभी भी परेशान हुई हुं मैं–
तब आपने ही पथ प्रदर्शक कर,
कांटों पर चलना है सिखाया।
हे! पिता तुमने ही मुझको——
धरा पर चलने से राह में जब भी गिरी,
उंगली पकड़ के आपने चलना सिखाया।
आपकी हर पल याद आती है,
सांसें बनकर रूह में मेरे समांये हैं।
अपने ही कहा था बाधाओं से
कभी मत घबराना।
हे पिता तुमने ही मुझको पथ दिखाया—–
फौलादी तो मुझको आपने ही बनाया,
दुनिया में जीना भी आपने ही सिखाया।
हे! पिता तुमने ही मुझको पथ दिखाया
तुमने ही मुझको—
चलना सिखाया——-
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर