पथ जीवन
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
रुकना नहीं तुझे चलना है।
बस चलता जा आगे बढ़ता जा
कभी छाँव का सुख लेता चल
कभी धूप में तुझे जलना है।
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
पथ यह नहीं आसान है।
कहीं फूल कहीं त्रिशूल भरे।
उलझन भरी इस राह पर
बस चलना ही तो चलना है।
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
पथ एक है दिशा एक है
जो आगे ही को जाती है।
एक कदम भी बढ़ा दिया
वापस पीछे नहीं रखना है।
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
पथ आगे ही को जाता यह
पीछे ओझल होता जाता है।
पीछे ताकने का प्रयास न कर
पीछे देखना एक धोखा है।
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
सुख की नदियाँ कहीं बहती है
कहीं दुखों के सरोवर है भरे।
मने देख इसे घबराता क्यों
सरोवर ही तो कमल खिलते हैं।
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
जब आगे ही को बढ़ना है
पीछे मुड़ मुड़ क्या देख रहा
‘विष्णु’ दृढ़ संकल्प कर मन में
अब पीछे नहीं तुझे हटना है।
पथ जीवन और क्या है ?
कभी धूप है कभी छाँव है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’