पथ चुनाव
शीर्षक – पथ चुनाव
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स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, कॉलेज का सभागार, विशेष मेहमानों, शहर के वरिष्ठ जनो ओर छात्र छात्राओं से खचाखच भरा थाl मंच पर मुख्य अतिथि , अध्यक्ष , और अन्य कई विद्वान उपस्थित थेl
झंडा रोहण, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत के साथ सांस्कृतिक आयोजन में छात्र छात्राओं की अविस्मरणीय प्रस्तुतियों ने सब का मन मोह लिया l विद्वत जनो ने स्वतंत्रता संग्राम की हुतात्माओं व देश के वीर जवानो के विषय पर ओज पूर्ण व्याख्यानो ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया l अब बारी थी मुख्य अतिथि के बोलने की। वह राजनीति या नौकरशाही से संबंधित न होकर शहीदों के परिवार से थी, नाम था उर्मिला चौहान..
यद्यपि मै उन्हें पहली बार देख रहा था किन्तु वह शहर की जानी मानी हस्तियों में से एक है , पूरा समाज उन्हे सम्मान की दृष्टि से देखता है जिनके पति कर्नल चौहान युद्ध में शहीद हुए थे ओर उनका इकलोता बेटा भी युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गयाl मै उनके परिवार की देशभक्ति भावना को मनन कर रहा था कि इन्होने देश पर अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया, तभी
तालियों की गाड़गड़हट से मेरी तंद्रा टूटी l
उर्मिला देवी ने संबोधित करने के लिए माइक सम्हाल लिया था ….
‘मुझे गर्व है कि मैं एक शहीद की विधवा और एक शहीद की माँ हू, एक कायर की सुहागन होने से अच्छा, एक वीर की बेवा होना है, मेरे पति ने देश सेवा के लिए जिस पथ का चुनाव किया उस पर हमे नाज है, उसी पथ पर चलते हुए मेरे पति व मेरे बेटे ने हँसते-हँसते पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए अपने प्राण होम कर दिये …. उस पथ मेरे देश के अनेकानेक बेटे आते रहे हैं, आ रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे ….. उस पथ पर जाने के लिए मेरे आँगन में भी एक सिपाही तैयार हो रहा है ,,,,,, ‘
उर्मिला देवी के इस संबोधन ने सभी मे जोश भर दिया ओर
पूरा सभागार भारत माता की जय ओर तालियों से गुंजायमान हो उठा पथ के दावेदारों के लिए।
राघव दुबे
इटावा (उ0प्र0)
8439401034