पथिक चलते रहो
पथिक चलते रहाे,पथिक चलते रहाे ।
पीछे मुड़कर न देखाे,दुख ही प्राप्त हाेगा ।
सुख ताे पलभर का है, राह कांटाे से भरी है।
राह के साथी छूटेंगे ही,नये साथी मिलेंगे ही ।
कल तक जिसकाे खिलाया गाेद में ।
आज खुद खिला रहा है गाेद में ।
आंगन का पाैधा आज बन चुका है पेड़ ।
सूखा पेड़ कटेगा ही,नया पेड़ लगेगा ही ।
पथिक चलते रहाे, पथिक चलते रहाे ।
।।जेपीएल।।