पथ/राह
पथ/राह
पवन बुहारे पथ तेरा तू
चल चला चल।
मान ले सुरभित बगिया जीवन
तू चल चला चल।
वृक्ष घनेरे बांह पसारे
है तेरा ऑचल।
जीवन की इस कश्मकश में
सांस ले दो पल।
सरिता कहे रुक मत पल भर
चल चला चल।
गिरि कहे स्थिर हो सोच न तू
होगा क्या कल।
फूल यें कहते रंग भर जीवन
हॅसता तू चल।
लतिका हरदम यही सिखलाती
प्रिय संग मिल चल।
सागर की लहरे बतलाती
हर पल में भर कौतूहल।
रवि किरणे करती है प्रेरित
न हो पथ अस्तॉचल।
हो निमग्न हे राही तू !हरदम
चल चला चल।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड