पत्रकारिता का आदर्श
चेतना पर पड़ी ज़ंजीरों के लिए
जिसकी क़लम एक शमशीर है!
जुल्मतों के निज़ाम के ख़िलाफ़
जो एक दिलेर योद्धा फ़कीर है!!
न कानों से सुनी न कागज़ की लेखी
जो कहता है केवल आंखों की देखी!
मेरे लिए पत्रकारिता का आदर्श
तो वही आदि विद्रोही कबीर है!!
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