पत्रकारिता एक सामाजिक दर्पण
पत्रकारिता एक सामाजिक दर्पण
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण है। समाज की यथार्थ प्रस्तुति पत्रकारिता को प्रासंगिक व रोचक बनाती है। पत्रकारिता को संविधान के चतुर्थ स्तंभ के रूप में दर्शाया गया है। पत्रकारिता निर्भीक निस्वार्थ परहित अभिव्यक्ति है। यह समाज की मूक वाणी है जो लिखित रूप में प्रिंट मीडिया का माध्यम बनती है, तो, कभी मीडिया कर्मी उनकी आवाज बन कर समाज का मार्गदर्शन करते हैं। पत्रकारिता यदि गरीब, पीड़ित, दलित मजदूर ,किसान ,मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है ,तो ,पूँजी पतियों व्यापारियों, नेताओं ,बाहुबली माफिया वर्ग का चाल चरित्र भी उजागर करती है।
पत्रकारिता के प्रकार:-
पत्रकारिता के विभिन्न प्रकार होते हैं। जैसे,1. खोजी पत्रकारिता
2. प्रहरी पत्रकारिता
3.ऑनलाइन पत्रकारिता
4.प्रसारण पत्रकारिता
5.राय पत्रकारिता
6.खेल पत्रकारिता
7. व्यापार पत्रकारिता
8.मनोरंजन पत्रकारिता
पत्रकारिता हेतु शैक्षिक योग्यता:-
पत्रकार हेतु प्रिंट मीडिया आदि में डिग्री डिप्लोमा कोर्सेज वर्तमान समय में उपलब्ध है ।पत्रकार बनने के लिए आप डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन, बैचलर इन मास कम्युनिकेशन ,
पीजी डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन, मास्टर इन मास कम्युनिकेशन ,डिप्लोमा इन जर्नलिज्म, जर्नलिज्म में डिग्री कोर्स भी कर सकते हैं ।
वर्तमान में पत्रकारिता में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं ।स्थानीय समाचार पत्र से लेकर राष्ट्रीय समाचार पत्र सभी योग्य संवाददाताओं की खोज में निरंतर रहते हैं।
पत्रकारिता के प्रमुख कार्य:-
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है। जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण ,लिखना, जानकारी एकत्र करके पहुंचाना, संपादित करना और समय से प्रस्तुतीकरण करना आदि सम्मिलित है ।आज की युग में पत्रकारिता के अनेक माध्यम हो गए हैं ।जैसे, अखबार ,पत्रिकाएं ,रेडियो ,दूरदर्शन, वेब पत्रकारिता आदि।
पत्रकारों के अधिकार:-
प्रेस का अधिकार ऐसा अधिकार है, जो किसी भी नागरिक को व्यक्तिगत रुप में प्रदान किया जाता है। प्रेस का संपादक या प्रबंधक जब भी समाचार पत्र के लिए लिखता है ,तो ,इसे वह एक नागरिक की हैसियत से उपलब्ध अधिकार का प्रयोग करते हुये, लिखता है।
पत्रकारिता का उद्देश:-
पत्रकारिता का मूल उद्देश सूचना देना, शिक्षित करना तथा मनोरंजन करना है ।इन तीनों उद्देश्यों में संपूर्ण पत्रकारिता का सारतत्व समाहित किया जा सकता है। अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण पत्रकारिता व्यक्ति और समाज के जीवन को गहराई प्रभावित करती है ।
पत्रकारों के प्रकार:-
पूर्णकालिक पत्रकार:-
अंशकालिक पत्रकार ,
स्वतंत्र या फ्रीलांसर पत्रकार।
पूर्णकालिक पत्रकार :-पूर्णकालिक पत्रकार से तात्पर्य उस पत्रकार से है जो किसी भी समाचार, संस्थान में नियमित रूप से वेतन भोगी कर्मचारी होता है, और अपना पूरा समय उसी संस्थान के लिए देता है ।
अंशकालिक पत्रकार या स्ट्रिंगर:- निश्चित मानदेय पर कार्य करने वाले पत्रकार होते हैं ।
स्वत्रंत पत्रकार:- निश्चित मानदेय पर किसी भी अखबार के लिये लिखते हैं।
प्रेस परिषद अधिनियम:-
समाचार पत्र तथा समाचार समितियों की स्वतंत्रता को कायम रखना। महत्वपूर्ण तथा जन रुचि के समाचारों का प्रेषण पर संभावित अवरोधों पर दृष्टि रखना ।
उच्च स्तर के अनुरूप पत्रकारों के लिए आचार संहिता तैयार करना। भारतीय समाचार पत्र का समाचार समितियों को मिलने वाली विदेशी सहायता का मूल्यांकन करना आदि।
पेज थ्री पत्रकारिता :-
पेज थ्री मतलब समाचार पत्र के तीसरे पन्ने पर सेलिब्रिटी समाचार या प्रतिष्ठित लोगों के निजी जीवन की हल्की-फुल्की बातचीत छापी जाती है। पेज थ्री में सेट पर होने वाली मजाक मस्ती ,या झगड़े भी छापे जाते हैं ।
अदालती पत्रकारिता :-
किसी अपराधी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने और अदालत में प्रस्तुत करने के बाद, दिए गए फैसले के समाचार को अदालती समाचार की श्रेणी में रखा जाता है।
फीचर समाचार:- फीचर को हिंदी में रूपक कहा जाता है ।यह किसी प्रकरण संबंधी विषय पर प्रकाशित आलेख है।
समाचार के छह प्रकार हैं:-
1.स्थानीय समाचार
2. प्रादेशिक या क्षेत्रीय
3.राष्ट्रीय
4. अंतरराष्ट्रीय
5. विशिष्ट
6. व्यापी
7डायरी
8.सनसनीखेज।
उल्टा पिरामिड सिद्धांत :-
उल्टा पिरामिड सिद्धांत समाचार लेखन का बुनियादी सिद्धांत है। समाचार लेखन का यह सिद्धांत कथा या कहानी लेखन की प्रक्रिया के ठीक उलट है ।इसमें किसी घटना ,विचार या समस्या के सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों या जानकारी को सबसे पहले बताया जाता है। जबकि कहानी या उपन्यास में क्लाइमेट सबसे अंत में आता है।
मुखड़ा या इंट्रो :-
समाचार के पहले और कभी-कभी पहले और दूसरे दोनों पैराग्राफ को कहा जाता है। मुखड़ा किसी भी समाचार का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है ,क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों और सूचनाओं को लिखा जाता है।
हिंदी पत्रकारिता का उद्भव एवं विकास:-
हिंदी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। हिंदी पत्रकारिता के नायक जाति चेतना, युगबोध और अपने दायित्व के प्रति पूर्ण सचेत थे ।30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। साप्ताहिक “उदंत मार्तंड” का पहला अंक आदरणीय पंडित जुगल किशोर शुक्ल जी ने 30 मई 18 26 को प्रकाशित किया था।
हिंदी पत्रकारिता स्कोर उद्भव और विकास को पांच भागों में बांट सकते हैं ।
पूर्व भारतेंदु युग 1826 से 18 66,
भारतेंदु युग 1866 से 1885,
उत्तर भारतेंदु युग 1888 से 1902,
द्विवेदी युग 1930 से 1920,
वर्तमान युग 1921 से अब तक।
हिंदी प्रदीप ,भारत मित्र, हिंदुस्तान, आज ,स्वदेश ,जागरण ,आर्यभट्ट, नवभारत ,हिंदू पंच आज के प्रमुख अखबार अस्तित्व में है ।
पत्रकारिता का मूल तत्व ककार हैं:-
समाचार लेखन के लिए छः सूचनाओं का प्रयोग किया जाता है। यह सूचनाएं क्या हुआ, कब हुआ ,किसके (कौन) साथ हुआ ,कहां हुआ ,क्यों और कैसे हुआ के प्रश्नों के उत्तर में प्राप्त होती हैं। यही छः ककार कहलाती है।
क्या ,कब ,कौन, कहां सूचनात्मक वह अंतिम 2 ककार क्यों और कैसे विवरणात्मक होते हैं।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता :-
प्रेस की स्वतंत्रता का अर्थ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से है ।यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 19( 1) (a)के अंतर्गत है। आर्टिकल 19 (1) (a)समस्त भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार देता है ।प्रेस की स्वत्रंत्रता प्रजातंत्र के लिए बहुत आवश्यक है। क्योंकि यह जनता को शिक्षित एवं इस योग्य बनाता है जिससे जनता मतदान करते समय अपना उचित निर्णय कर सके।
प्रेस की स्वतंत्रता का तात्पर्य यह है कि पत्रकार को अधिकार है कि वह अपने विचार ,सूचना, अपनी राय बेबाकी से बिना किसी प्रतिबंधित सेंसरशिप के समाज में प्रकाशित कर सकता है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता विधिक रूप से संवैधानिक संशोधन के माध्यम से संरक्षित है ।कानूनी रूप से राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आदर्श आचार संहिता, का मामला भारतीय दण्ड संहिता कानून द्वारा तय किया गया है ।यह स्वतंत्र पत्रकार हेतु हाइब्रिड लीगल सिस्टम है।
भारत में मीडिया को पक्षपातपूर्ण समाचार प्रकाशित करना या मीडिया द्वारा गुमराह किए जाने या अफवाह फैलाया जाना संविधान संशोधन कर प्रतिबंधित कर दिया गया है। मीडिया का अपराध भारतीय दंड संहिता द्वारा तय किया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता भारत में कुछ प्रतिबंधों के साथ निर्धारित की गई हैं। जैसे ,मानहानि कानून, विसलब्लोअर की सुरक्षा का अभाव, पत्रकारों को सूचना प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे जनता एवं सरकारी कर्मचारियों के क्रोध या उत्तेजना का सामना करना पड़ता है। सरकारों ने नागरिकों के बौद्धिक, नैतिक , व मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु कई कड़े कदम उठाए हैं। आपत्तिजनक सामग्रियां जो विभिन्न प्लेटफार्म पर उपलब्ध होते हैं प्रतिबंधित किया गया है। भारत का कानून, सामाजिक माध्यमों के द्वारा अफवाह फैलाने पर संबंधित पत्रकार को सरकार जेल भी भिजवा सकती है। यह समाचार पत्र को प्रतिबंधित भी कर सकती है
।आर्टिकल 21 में भारत का संविधान जीवन की सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
भारतीय संविधान आर्टिकल 25 में अंतःकरण की स्वतंत्रता, सदाचार एवं धार्मिक आचरण ,और प्रचार करने की स्वतंत्रता का समान अधिकार देता है।
भारतीय प्रेस के पितामहः- जेम्स अगस्टस हिकी को भारतीय प्रेस का पितामह कहा गया है।वे एक ब्रिटिश नागरिक थे ।उन्होंने सर्वप्रथम भारत में समाचार पत्र प्रकाशित किया था।
हिंदी पत्रकारिता का भविष्य उज्जवल है। राष्ट्रीय चेतना ,राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पत्रकारिता को अपना उत्तरदायित्व समझना चाहिए। और एकमत से समर्थन करना चाहिए। लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ के रूप में प्रत्येक व्यक्ति की भावनाओं और अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर समाज तक आवाज पहुंचाना चाहिए। पत्रकारिता निष्पक्ष निर्भीक एवं स्पष्ट होनी चाहिए। सरकारों का भी उत्तर दायित्व है ,कि, पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा ,स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएं, जिससे कि वे अपना जीवन यापन सुचारू रूप से कर सकें, और उन्हें अन्य अवैधानिक साधनों का उपयोग अपने जीवन यापन के लिए ना करना पड़े।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
संयुक्त जिला चिकित्सालय
बलरामपुर,271201
मोब.9450022526