*पत्नी माँ भी है, पत्नी ही प्रेयसी है (गीतिका)*
पत्नी माँ भी है, पत्नी ही प्रेयसी है (गीतिका)
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(1)
पत्नी माँ भी है, पत्नी ही प्रेयसी है
पत्नी जीवन के, हर मोड़ की हॅंसी है
(2)
जीवन के राग-रंग, वेद की ऋचाऍं
पत्नी इन सबके हर प्रष्ठ में बसी है
(3)
बच्चों के ऊधम, उपवासी-सॉंसों में
शांत कभी सरिता, तो बाढ़ में फॅंसी है
(4)
आजादी तो है, लेकिन अनुशासन की
वीणा के तारों-सी हर समय कसी है
(5)
खटती है दिन-भर, दफ्तर में जा-जाकर
सुबह-शाम चूल्हे की, किंतु बेबसी है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल 9997615451