पत्नी वन्दना
दिलवर जानी, रानी, महारानी,
मैं तेरी वन्दना करुं,
नित तेरा ध्यान धरुं,
मान करुं,सम्मान करुं, ।
तू होती,क्यों रुष्ट
बता मुझे अपना कष्ट,
मत कर मेरी मति को भ्रष्ट ,
कर दे वह कारण स्पस्ट ।
मैं तेरी वन्दना करुं —-
सुन मेरी प्यारी,
तु है सबसे न्यारी,
समझ मेरी लाचारी,
तेरी डिमाण्ड है भारी,
मैं,तेरी वन्दना करुं।
दिलवर जानी,
है तू बडी सयानी,
फिर क्यों करती है नादानी,
बढ जाती मेरी परेशानी,
मैं,तेरी वन्दना करुं ।
सुनो मेरी वाणी जी,
तू रानी,महारानी भी,
तुही पटरानी भी,
तेरा नहीं कोई सानी,
मै तो हो गया पानी-पानी,
मैं,तेरी वन्दना करुं।
मैं धरुं तेरा ध्यान,
छोड कर आन बान,
खोकर अपनी पहचान,
मागूं तुमसे छमा दान,
किसने भरे तेरे कान,
बख्स दे मेरे प्राण।
मैं तेरी वन्धना करु ।
ऐ देवी महामाया,
रुग्ण होती मेरी काया,
यूंही हो रहा है समय जाया।
पावन परिणय से मैने क्या पाया।
,हुआ ब्यथित,मैं तेरी वन्दना करूं।