पत्नी रुष्ट है
इधर पत्नी रूठी,
उधर साहब नाराज।
दोनों ओर कुंआ व खाई
गिरनी है गाज।
संकट से निजात कैसे पाउं,
इधर जाऊं या उधर जाऊं।
साहब को झेलूं ,
या पत्नी मनाऊं।
वह दिल का खोटा है,
यह अक्ल की मोटी है।
एक के पास रोजी है,
दूजे के पास रोटी है।
पत्नी रुष्ट है,
साहब दुष्ट है।
चाहे जान लगा दो,
दोनों असन्तुष्ट हैं।
अब एक ही उपाय,
चिकित्सा अवकाश लूँ जल्दी।
साहब भी काफूर,
माने पत्नी पिलाये दूध हल्दी।
सतीश ‘सृजन’