पत्नी घर.की रानी है
पत्नी जो घर की रानी है
जीवन में वह महारनी है
प्यार से बोलो तो मचलती
मौसम को कहे बेईमानी है
देर से आओ तो अकड़ती
आँखों में मय की रवानी है
कुछ भी कहो तो भड़कती
तैवर उसके बड़े तुफानी है
ना कहने दे ना ही सुनने दें
जुबान शांत नही गुर्रानी है
पति मुश्किल में चाहे फँसा
सोचे दो घूँट हाला लगाली है
सज संवर कर इंतजार करे
उसकी हर अदा मस्तानी है
नाक पर मक्खी ना बैठने दें
नाज नखरे बहुत बर्फानी हैं
मायके में सदा वो डूबी रहे
ससुराल समझे नादानी है
पैगार दिवस हो खुश रहती
गृहमंत्रालय मंत्री सयानी हैं
पूरे घर का सदा ख्याल रखे
घर की वह सुंदर बहुरानी है
सुखविंद्र सिंह मनसीरतपत