पत्नी का पति के नाम खत— मंहगाई
पत्नी का पति के नाम खत— मंहगाई
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बड़ी मंहगाई बालम सब्जी का खरीदी /
नेनुआ तोरी बैगन टिंडा गोभी खीरा लौकी
आलू मंहगी भिंडी मंहगी परवर पटल भी मँहगा/
ककड़ी खीरा और चुकंदर कटहल लंपट लंबा /
पत्ता गोभी मटर सेम बरसा मे पालक मेथी/
अदरक लहसुन प्याज ये धनिया संग सजी चौराई/
कुनरू चीचड़ा और करैला संग मे सूरन राजा/
बथुआ ,सोवा हरी पियाज फेंच बीन्स अरू शिमला/
शलगम अरबी कमलककड़ी शकरक्न्द ये मूली /
सहजन ग्वार फली से मंहगी भावनगर की मिर्ची/
क़ोहड़ा मोहड़ा केतना थामे पंडित खाते पूड़ी /
उड़द मूँग अरू दाल भाव सुन आए प्रियतम जूडी/
बड़ी मंहगाई बालम सब्जी का खरीदी /
सोना चाँदी सब्जी होइगा हार हार मन मानत /
जेतना तू मानी आर्डर भेजा , सब्जी पे सब लानत/
बड़का से पैसा लिहे रहे जो छोटका करें तगादा /
सुबह शाम वो आयि – आयि के डालें काम मे बाधा /
बीत जुलाई आडिमीशन का चिंता रोज सातवत बा,
चिंटू पिंटू पप्पू गप्पू , स्कूल से फ़ोन भी आवत बा/
ड्रेस कापी अरू क़लम किताब मंहगाई साजन बेहिसाब /
अच्छे दिन सब भूल गये फूल आज सब शूल भये/
बड़ी मंहगाई बालम ——–आज कल पढ़ाई
राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी