*पत्नियाँ (हिंदी गजल/ गीतिका*
पत्नियाँ (हिंदी गजल/ गीतिका
——————————–
(1)
हर मुसीबत को हटाती पत्नियाँ
काम आड़े वक्त आती पत्नियाँ
(2)
छोड़ अपना घर चली आई हैं यह
दूसरों का घर बसाती पत्नियाँ
(3)
कौन जाने लोग अब कैसे मिलें
रोती हुई ससुराल जाती पत्नियाँ
4)
स्वर्ग बनता है इन्हीं से घर सदा
इसलिए देवी कहाती पत्नियाँ
5)
जब बुरे दिन चल रहे हों घर के तो
प्यार से ढाढ़स बँधाती पत्नियाँ
6)
नौजवानी में-बुढ़ापे में सदा
साथ पतियों का निभाती पत्नियाँ
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451