पत्थर हैं
तो आप सेक्युलर हैं
मतलब,मीठा जहर हैं ।
खैर ये कोई बात नहीं
मगर क्या रेग्युलर हैं ?
क्या आप होतें चिंतित
सबके लिए बराबर हैं ?
आप फैसला करें ,क्या
आप कानून से ऊपर हैं?
जो ज़ाहिर करतें हैं सच
आप से तो वो बेहतर हैं ।
अबे! चुप हो जा अजय
जनाब लिये हाथों में पत्थर हैं।
-अजय प्रसाद