Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2016 · 1 min read

पत्थर ही पत्थर

पत्थर पर बैठी एक औरत
पत्थर को ही तोड रही है
तोड तोड कर पत्थर को
घर का तिनका तिनका जोड रही है

पास ही उसका बीमार आदमी
पत्थर को ही ढो रहा है
जैसे कल के भविष्य की खातिर
पत्थर को वो बो रहा है

चार बरस का बच्चा छोटा
पत्थर पर ही सो गया है
कल से पेट की आग मे तप के
पत्थर जैसा हो गया है

छोटी सी बिटिया मुनिया
पत्थर केसंग खेल रही है
उनकी चोटो को वो अपनी
मुस्कानो से झेल रही है

पास ही पत्थर के भवन मे
पत्थर ही पूजा जा रहा है
क्यों ना दुनिया पत्थर पूजे
जब सब जग पत्थर हो रहा है

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 875 Views

You may also like these posts

एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
अश्रु की भाषा
अश्रु की भाषा
Shyam Sundar Subramanian
खोने के पश्चात ही,हुई मूल्य पहचान
खोने के पश्चात ही,हुई मूल्य पहचान
RAMESH SHARMA
हमारी संस्कृति
हमारी संस्कृति
indu parashar
जो भुगत कर भी थोथी अकड़ से नहीं उबर पाते, उन्हें ऊपर वाला भी
जो भुगत कर भी थोथी अकड़ से नहीं उबर पाते, उन्हें ऊपर वाला भी
*प्रणय*
.....चिंतित मांए....
.....चिंतित मांए....
rubichetanshukla 781
छाता
छाता
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस
Ayushi Verma
- जिंदगी को जी लो -
- जिंदगी को जी लो -
bharat gehlot
मुझे भी अब उनकी फ़िक्र रहती है,
मुझे भी अब उनकी फ़िक्र रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं सोचती हूँ
मैं सोचती हूँ
आशा शैली
खामोशियों
खामोशियों
manjula chauhan
कोरोना
कोरोना
लक्ष्मी सिंह
★दाने बाली में ★
★दाने बाली में ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
यदि गलती से कोई गलती हो जाए
यदि गलती से कोई गलती हो जाए
Anil Mishra Prahari
अल्फाज़.......दिल के
अल्फाज़.......दिल के
Neeraj Agarwal
आप ज्यादातर समय जिस विषयवस्तु के बारे में सोच रहे होते है अप
आप ज्यादातर समय जिस विषयवस्तु के बारे में सोच रहे होते है अप
Rj Anand Prajapati
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
*मन के मीत किधर है*
*मन के मीत किधर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"आइडिया"
Dr. Kishan tandon kranti
मुकम्मल आसमान .....
मुकम्मल आसमान .....
sushil sarna
कल रात
कल रात
हिमांशु Kulshrestha
__________सुविचार_____________
__________सुविचार_____________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
Ravi Prakash
गुरु
गुरु
Roopali Sharma
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
Loading...