पत्थर ही पत्थर
पत्थर पर बैठी एक औरत
पत्थर को ही तोड रही है
तोड तोड कर पत्थर को
घर का तिनका तिनका जोड रही है
पास ही उसका बीमार आदमी
पत्थर को ही ढो रहा है
जैसे कल के भविष्य की खातिर
पत्थर को वो बो रहा है
चार बरस का बच्चा छोटा
पत्थर पर ही सो गया है
कल से पेट की आग मे तप के
पत्थर जैसा हो गया है
छोटी सी बिटिया मुनिया
पत्थर केसंग खेल रही है
उनकी चोटो को वो अपनी
मुस्कानो से झेल रही है
पास ही पत्थर के भवन मे
पत्थर ही पूजा जा रहा है
क्यों ना दुनिया पत्थर पूजे
जब सब जग पत्थर हो रहा है