Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2024 · 1 min read

-पत्थर सा दिल है तेरा –

पत्थर सा दिल है तेरा –
पत्थर सा दिल है तेरा ,
पिघलता नही है,
नाजुक सा दिल है यह मेरा,
अक्सर टूट जाता है तेरे रूठने से,
तेरे नखरे भी है अजब कमाल,
कहर ढहाती है तेरी नागिन सी चाल,
मदहोश कर देती तेरी तिरछी नजर,
घायल कर देती मुझे कर देती तेरी आंखे वो कमाल,
रहम मेरे दिल पर यह खाता नही है,
पत्थर सा दिल है तेरा,
पिघलता नही है,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
47 Views

You may also like these posts

वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
Sonam Puneet Dubey
खाली पैमाना
खाली पैमाना
ओनिका सेतिया 'अनु '
कोई अवतार ना आएगा
कोई अवतार ना आएगा
Mahesh Ojha
/ आसान नहीं है सबको स्वीकारना /
/ आसान नहीं है सबको स्वीकारना /
Dr.(Hnr). P.Ravindra Nath
भारत
भारत
Shashi Mahajan
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
कवि रमेशराज
मानव तन
मानव तन
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
धार्मिक सौहार्द एवम मानव सेवा के अद्भुत मिसाल सौहार्द शिरोमणि संत श्री सौरभ
धार्मिक सौहार्द एवम मानव सेवा के अद्भुत मिसाल सौहार्द शिरोमणि संत श्री सौरभ
World News
चन्द्रमाँ
चन्द्रमाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
sp60 बुनियाद भावनाओं की
sp60 बुनियाद भावनाओं की
Manoj Shrivastava
यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर– राम गीत।
यूं कठिन राह कोई ना चुनता मगर– राम गीत।
Abhishek Soni
किताब में किसी खुशबू सा मुझे रख लेना
किताब में किसी खुशबू सा मुझे रख लेना
Shweta Soni
वादा
वादा
Ruchi Sharma
एक पेड़ का दर्द
एक पेड़ का दर्द
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
Ajit Kumar "Karn"
शंकर आदि अनंत
शंकर आदि अनंत
Dr Archana Gupta
😢
😢
*प्रणय*
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
Dr. Narendra Valmiki
श्रम बनाम भ्रम
श्रम बनाम भ्रम
Jyoti Pathak
कोई तो मेरा अपना होता
कोई तो मेरा अपना होता
Juhi Grover
श्री राम जी अलौकिक रूप
श्री राम जी अलौकिक रूप
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
ख़ुश-कलाम जबां आज़ के दौर में टिक पाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गुम हो जाते हैं साथ चलने वाले, क़दम भी कुछ ऐसे।
गुम हो जाते हैं साथ चलने वाले, क़दम भी कुछ ऐसे।
Manisha Manjari
*यार के पैर  जहाँ पर वहाँ  जन्नत है*
*यार के पैर जहाँ पर वहाँ जन्नत है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
My luck is like sand
My luck is like sand
VINOD CHAUHAN
माहौल में
माहौल में
Kunal Kanth
पता नही क्यों लोग चाहत पे मरते हैं।
पता नही क्यों लोग चाहत पे मरते हैं।
इशरत हिदायत ख़ान
"मिजाज"
Dr. Kishan tandon kranti
*धर्मपत्नी श्रीमती मंजुल रानी को जन्मदिन की बधाई (कुंडलिया)*
*धर्मपत्नी श्रीमती मंजुल रानी को जन्मदिन की बधाई (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...