!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
भटकता रहा हूँ लेकिन, ब़ेदर नहीं हूँ मैं
हलचल है आँधियों में,बेख़बर नहीं हूँ मैं
दोराहे पर हूँ लेकिन, रहगुज़र नहीं हूँ मैं
तश्वीर का हिस्सा हूँ, पलभर नहीं हूँ मैं
ज़ख़्मी ज़िगर हूँ लेकिन,खंजर नहीं हूँ मैं
नज़रों के सामने हूँ, मन्ज़र नहीं हूँ मैं
मंझधार में हूँ लेकिन, बवंडर नहीं हूँ मैं
गहराईयां है मुझमें,समंदर नहीं हूँ मैं
ठहरा हुआ हूँ लेकिन, पोखर नहीं हूँ मैं
झुक जाए आसानी से,वो सर नहीं हूँ मैं
“चुन्नू” क़ैद में हूँ लेकिन, बेघर नहीं हूँ मैं
ठोकर लगी है मुझको, पत्थर नहीं हूँ मैं
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)