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23 Jun 2024 · 1 min read

पत्थर दिल का एतबार न कीजिए

दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र अपनी दुआओं से इस नाचीज़ को नवाजें।

ग़ज़ल
=====

पत्थर दिल का एतबार न कीजिए

पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
हो गई जो भूल बारबार न कीजिए।
=====================

संभल कर चलना मुसाफिर राहों में,
कांटो को तुम ख़बरदार न कीजिए।
=====================

सीख लो उनसे ठोकर जो खा रहे है
है जो राज उन्हें अख़बार न कीजिए।
======================

ये दुनिया तमाशबीन है मजा लेती है,
दर्द ए गमो का यूँ दरबार न कीजिए।
======================

मुतमईन हो तो खुद से बात कीजिए,
चुप रह खुद को ख़ताबार न कीजिए।
======================

उम्मीद ए करार ले कर शायर “जैदि”,
बात दिल की तुम हरबार न कीजिए।
======================

मायने:-
एतबार:-विश्वास
ख़बरदार:-सावधान
तमाशबीन:-तमाशा देखने वाली
मुतमईन:-आश्वस्त
ख़तबार:-गुनहगार
उम्मीद ए करार:-संतोष की आशा

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 16 Views
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